Friday, January 20, 2012

एक शाम दोस्तों के नाम

एक सुनहरी शाम ,
गलियातें दोस्तों का पगला आवाम !!

खुला आसमान,
हरी-हरी घास का उबड-खाबड़ मैदान,
मद्धम-मद्धम थिरकती हवाओं का मधुर नृत्यगान,
थंडा , मध और चीखने का उत्तम प्रावधान,
सड़क किनारे जलते स्ट्रीट लाइट से,
कैंडल लाइट डिनर वाला अवसान !!

बांग्ला, हिंदी और इंग्लिश का मधुर मेल था,
व्याकुल प्रेमियों का हँसता-रोता वियोग था !!

क्लास से लेकर US तक का ज्ञान था ,
बच्चनजी की "मधुशाला" का यहीं तो व्याख्यान था !!

मिलने-मिलाने का अंदाज़ निराला था,
गलें-शिकवें भुलाने का सबसे सुगम हाला था !!

चाँद को पृथ्वी पर लाने की बातें थीं ,
कभी अलग न होने की "stupid" जस्बातें थीं !!

ये मस्तानों का इन्कलाब था,
कभी न पूरा होने वाला मनचला ख्याल था !!

इस हंगामे में सब "Force" था ,
पर आगे बढ़ने का अब न कोई "Source" था !!

एक-दूसरे को उठाने का तकरार था ,
"हॉस्टल न जाने का इतबार था !!

पर इस चंडाल पेट ने सब रुकवाया,
और इस सुनहरी शाम का चीखता-चिल्लाता इंतकाल करवाया !!



This poem is dedicated to my friends at Jalpaiguri Government Engineering College .Miss you all  !!!

2 comments:

GOURAV JAISWAL said...

bahut badhiya bhai... badhiya chitran kiya hai shaam ka.. bahut badhiya..!!

ghanshyam kumar said...

Miss u too Gandhi